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मंगलवार, 10 फ़रवरी 2015

आई वी एफ


इन विट्रो -फर्टिलाइजेशन (आई वी एफ ) IVF या कित्रम गर्भाधान तकनीक उन महिलाओ के लिए है जो बाँझपन की शिकार है । दुनिया के सब से पहले आई वी एफ IVF शिशु लुइस ब्राउन का जन्म 25 जुलाई 1978 को बिर्टेन में हुआ था । भारत की पहली आई वी एफ IVF शिशु दुर्गा का जन्म 3 अक्टूबर 1978 को हुआ था । यह पर हम आपको इस तकनीक के बारे में जानकारी दे रहे है । 


आई वी एफ के योग्य महिलाये : नला (फैलोपियन ट्यूब) औरत के शरीर में अंडे को बच्चेदानी तक ले जाने का काम करती है। 

जब ये ट्यूब खराब होती है ऐसे में आई वी एफ IVF के माध्यम से उनको माँ बनने में मदद की जाती है ।

पुरुष के वीर्य में शुक्राणु कम होना, किसी अज्ञात कारण से गर्भधारण न होना ऐसे में आई वी एफ ही एक सफल उपचार है । 

कैसे होता है आई वी एफ: इस प्रकिर्या में मरीज को हार्मोन के इंजेक्शन दिए जाते ताकि उसके शरीर में अधिक कोशिकाएं बने  
निशिचित समय पर अंडाणु को अंडकोष से निकल लिया जाता है और नियन्त्रित वातावरण में शुक्राणु से उसका निशेचन करया जाता है । इस के बाद तैयार हुए भूर्ण को गर्भाशय में रख दिया जाता है । 

1. सारे प्रजनन चिकित्सा असफल होने आई वी एफ IVF इस्तेमाल किया जाता है 

2. आई वी एफ IVF के लिए एक सवस्थ अंडाणु , निषेचित करने वाले शुक्राणु , गर्भाशया आवश्यक है । 

3. परन्तु यह तकनीक बहुत महंगी है और सफलता एक ही बार में मिले यह जरूरी नहीं है । 

4 . इसकी सफलता दर 40 से 60 % है । यह सफलता दर उम्र बढ़ने के साथ कम हो जाती है । 

5. जुड़वाँ बच्चो के जन्म के आसार भी अधिक है। 

6 . आज के समय में बांझपन से जूझ रहे दम्पतियों के लिए आई वी एफ एक आशा की किरण हैं ।

अगर आप आदिक जानकारी चहेते है तो आप हमारी वेबसाइट पर जाऍ

या हमे इमेल करें info.fertilityhospital@gmail.com

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